Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 115( A Mortel Step-5)

"तो अब प्लान क्या है..."हॉस्टल पहुंचकर अरुण ने मुझसे पुछा...

"मैं सोच रहा हूँ कि 2001 प्राइस वाला गॉगल्स आज ही मॉल से ले आउ,जो मैने लास्ट वीक वहा देखा था

"भाड़ मे जाए तेरा वो गॉगल्स और अब ये बता कि करना क्या है...मुझे अब ना जाने क्यूँ ऐसा लग रहा है कि मैने तेरा साथ देकर ग़लत किया, कही हम लंबे लफडे मे ना फँस जाए "अपने चेहरे को टॉवल से पोछते हुए सौरभ ने मेरे न्यू गॉगल्स लेने के प्लान को बीच मे ही रोक दिया

"अब कैसा लफडा बे, अब तो जो होना था हो चुका है... जिन्हे मारना था उन्होने मार दिया और जिन्हे मार खाना था ,उन्होने भी मार खा लिया...बस टॉपिक ख़तम "

"बेटा,टॉपिक ख़तम नही हुआ है.. बल्कि ये तो शुरू हुआ है. अभी हमने जो एक्शन किया है ना उसका रिएक्शन भी आएगा. बोले तो तलवार अब हमारे गर्दन के उपर लटकने वाली है..."जिस टॉवेल से सौरभ अपना चेहरा सॉफ कर रहा था उसे मेरे फेस पर फेक्ते हुए कहा

"मुझे समझ नही आता कि लोग हमेशा न्यूटन के थर्ड लॉ का ही एक्सापल क्यूँ देते है, जबकि थर्ड लॉ से पहले फर्स्ट आंड सेकेंड लॉ आता है..."

"क्यूंकि वो आसान है..."

"वैसे मैने उनके रिएक्शन को शुरू होने से पहले ही ख़तम कर दिया है इसलिए चिंता की कोई बात नही"

"क्या किया तूने...? और जब से कैंटीन  मे मेरी पेलाइ हुई है तब से मेरा तुझपर से विश्वास उठ सा गया है...साले खुद तो मरता है साथ मे मुझे भी मरवाता है..."अरुण बीच मे ही टपक पड़ा"मुझे भी अब ऐसा लग रहा है कि तेरा साथ देकर मैने बहुत बड़ी ग़लती कर दी,कहीं उन दोनो ने फिर से पुलिस  मे रिपोर्ट कर दिया तो "

"वो तो करेंगे ही"अरुण की फाड़ते हुए मैने कहा"और पुलिस  कॉलेज मे भी आएगी और हॉस्टल  मे भी आएगी और तो और हमे अपने साथ ले जाने की कोशिश भी करेगी..."

"साले,कुत्ते..... इस बार तो गये काम से, तू हमारा दोस्त नही है..."अरुण और सौरभ एक साथ मुझपर चिल्लाए...

"अबे गला फाड़ना बंद करो...पहले मुझे बात तो पूरी करने दो..."अपनी टी-शर्ट उतारकर अरुण के चेहरे पर फेक्ते हुए मैं बोला"अपना कल्लू वॉर्डन किस दिन काम आएगा..."

"क्या घंटा काम आएगा वो कल्लू...बल्कि वो तो उल्टा हमारी और शिकायत कर देगा...एक तो पहले से ही तू उसे पसंद नही है ,उपर से अब ये नया लोचा.."मेरी टी-शर्ट को वापस मेरी तरफ फेक्ते हुए अरुण ने सौरभ से कहा"सौरभ मेरे भाई, मेरा भी Sixth Sense कुछ -कुछ  काम करने लगा है...और जैसा कि मैने अंदाज़ा लगाया है उसके हिसाब से हम दोनो के पैर पुलिस  वालो ने रस्सी से बाँध दिए है और डंडे से फटत ले पेल रहे है.... अबकी बार तो अच्छे से ठुके ..."

"चुप कर बे.... खुद तो डरा हुआ है उपर से सौरभ के पिछवाड़े मे भी पिन ठोक रहा है...सौरभ तू यकीन मान अपना वॉर्डन अपनी साइड लेगा..."

"सुनकर दिल को सुकून मिला... लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है कि ऐसा कुछ  भी नही होने वाला...मतलब की हॉस्टल  वॉर्डन भला हमारा साथ क्यूँ देगा "

"कल्लू वार्डन हमारा साथ देगा... मेरे लिए, तेरे लिए, अरुण के लिए, हॉस्टल के लिए, हॉस्टलर्स के लिए और...सौ बात की एक बात... सिदार के लिए "

"देख अरमान ,अभी ज़्यादा डाइलॉग बाज़ी मत छोड़...वरना दो को तो पेल के आया ही हूँ,तीसरा नंबर तेरा लगा दूँगा...इसलिए शॉर्ट मे बता लेकिन अच्छे से बता..."

"सिदार  ने वॉर्डन को हमारी तरफ से गवाही देने के लिए मना लिया है...अब तुम दोनो के गोबर भरे दिमाग़ मे कुछ  घुसा या फिर जर्मन लैंग्वेज  मे समझाऊ या फिर फ्रेंच मे या फिर स्पेनिश मे..."

"सब समझ गया अपुन" मुझे गले लगाते हुए सौरभ ने थैंक्स  कहा...

"अपुन भी सारा मैटर  समझ गया है , थैंक्स टू सिदार  की.....  वो हर समय हमारी मदद करने के लिए तैयार रहता है...बेटा अरमान ,यदि सिदार  ना होता तो तेरी कोई भी दाल नही ग़लती...."

"Yep ... I Know, Bitches"सिगरेट के पैकेट  से एक सिगरेट निकालते हुए मैने कहा और दिल ही दिल मे एमटीएल भाई का हमारा साथ देने के लिए शुक्रिया अदा किया...
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"वैसे सौरभ,अरमान ने कुछ  और भी प्रॉमिस किया था...याद है कि भूल गया..."

अरुण के ऐसा बोलते ही मैं समझ गया कि वो मेरे किस प्रॉमिस की बात कर रहा है और मैं उस वक़्त थोड़ा परेशान सा हो गया... क्यूंकी दोनो को लड़ाई मे शामिल करने के लिए तो मैने बड़ी आसानी से कह दिया था कि मैं उनके लिए दिव्या और विभा का जुगाड़ करा दूंगा ...लेकिन मुझे मालूम था कि ये काम बहुत मुश्किल है . विभा को तो मैं खुद भी अभी तक नही पटा पाया था, इसलिए सौरभ का मामला कैसे जोड़ू...??  और अरुण के मामले मे तो भयंकर ख़तरा था..क्यूंकी यदि दिव्या के बाप को ज़रा सी भी भनक लग गयी की उसकी बेटी को कॉलेज के किसी लड़के ने किस भी किया है तो फिर वो लड़का तो गया जान से.....

सौरभ और अरुण को लड़ाई मे शामिल करना मेरी मजबूरी नहीं थी, बल्कि ये तो मेरी मजबूती थी.  वो दोनों यदि नहीं भी रहते तो राजश्री पाण्डेय,जैसे दर्जनों लड़के ऐसे थे...ओ अब मेरी एक आवाज़ पे मेरे लिए खड़े हो जाते और जो उस दिन हुए भी... मुझे तो बस ये दिखाना था की अरुण और सौरभ भी मेरे साथ है... वरना उनपर बुरा असर पड़ता की..जब मेरे खास दोस्त, मेरे रूम पार्टनर ही मेरा साथ नहीं दे रहे तो, फिर वो क्यों दे... इसलिए मुझे अपना पक्ष मजबूत तो रखना ही था.. इसलिए अनान -फनान मे मेरे मुँह मे उस समय जो आया, मैं उन दोनों से कह दिया....

"इधर-उधर क्या देख रहे हो अरमान बाबू...अपना प्रॉमिस याद तो है ना....? या हम दोनो याद दिलाए..."मेरे गर्दन को पीछे से पकड़ कर दबाते हुए सौरभ ने कहा...

"मैं अभी आया... छोड़ "

उन दोनो से पीछा छुड़ाने के लिए मैं वहाँ से उठा ही था कि अरुण कूद कर दरवाजे के पास पहुचा और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया...वही सौरभ अब मेरे दोनो हाथ को पीछे से पकड़ कर मरोडने लगा....
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"जल्दी से हम दोनो के अरमान पूरे कर..वरना तेरा खून कर दूँगा..."सौरभ ने धमकी दी

"मैं तो डाइरेक्ट रेप करूँगा तेरा... क्या मस्त मशक्युलर बॉडी है तेरी... Aaahhhh...मजा आ जायेगा..."दरवाजे के पास खड़े होकर अरुण ने भी नकली आवाज़ निकालते हुए धमकी दी...

"इसको दिव्या से पटवाओ बे... रहा नहीं जा इससे अब..."

अब मुझे अंदाज़ा हो गया था कि यदि इस वक़्त मैने उन दोनो को ना कहा तो ,वो दोनो मुझे बहुत मारेंगे इसलिए मैने इस समय उन दोनो को हां कहने मे ही अपनी भलाई समझी और बोला...

"अरुण तेरा काम कुछ  दिनो मे हो जाएगा और सौरभ तुझे कुछ  दिन के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा,...क्यूंकी विभा को ठोकने के लिए मनाना थोड़ा मुश्किल है,लेकिन मैं इसे करूँगा ज़रूर...अब तो मेरा हाथ छोड़...."

दोपहर,  शाम मे ढली और शाम, रात मे तब्दील हुई और फिर सवेरा हुआ...सवेरा होते-होते कल के ग्राउंड वाले कांड की खबर लगभग कॉलेज मे हर एक के कानो तक पहुच चुकी थी...कोई कहता कि फर्स्ट ईयर  के उन दोनो लड़को को अरमान ने और उसके दोस्तो ने मारा, तो कोई कहता कि सिटी वाले सीनियर के साथ उनका कुछ  लोचा था , कुछ  तो ये भी कहने वाले थे कि शायद उन दोनो को दिव्या के बाप ने मारा था.....?? जिसकी जितनी समझ और जितनी पहुंच थी..सब उसी के हिसाब से सुर्खिया बना रहे थे और उन सुर्खियों मे मेरा नाम फिर से उड़ने लगा था. उन दोनों  की हालत इस वक़्त खराब थी और दोनो सिटी के बेस्ट हॉस्पिटल मे अड्मिट थे...किसी को शक़ ना हो इसलिए मैं दूसरे दिन नॉर्मल सा बिहेव करते हुए नॉर्मल तरीके से कॉलेज गया और साथ मे बीमार होने का धाँसू एक्टिंग भी किया...  अब आप लोग तो मेरे ऑस्कर लेवल की एक्टिंग के बारे मे तो जानते ही हो... मै बीमार होने की एक्टिंग तो कर रहा था लेकिन क्लास के अंदर मेरे और मेरे खास दोस्तो का अंदाज़ वही था,जिसके लिए हम जाने जाते थे और क्लास के अंदर  हम आज भी लास्ट बेंच पर लड़कियो के पीछे बैठे... बोले तो हम पहले की तरह आज भी बैक  बेन्चेर्स थे...

क्लास के कुछ  लड़को ने मुझसे पुछा कि क्या मैने फर्स्ट ईयर  के लड़को को मारा है...?? ऐसा सवाल करने वालो की लिस्ट मे मेरे क्लास के साथ-साथ मेरा दोस्त नवीन और कई  टीचर्स भी शामिल थे... वो सब जितनी भी बार मुझसे ये सवाल पुछ्ते मेरा जवाब हर बार एक होता और वो जवाब था कि"मैं तो कल लंच के बाद तबीयत खराब होने के कारण हॉस्टल  जाकर सीधे सो गया था....मुझे तो आज कॉलेज आने पर इस झगड़े के बारे मे मालूम चला... यकीन ना हो तो मेरे हॉस्टल के वार्डन से पुछ  लो.. वो तो मेरा दुश्मन है, वो थोड़ी मेरे पक्ष मे गवाही देगा.. उसने खुद मुझे तीन बार राउंड मारने के दौरान मेरे रूम मे देखा है. मैने ऐसा सिर्फ अपने क्लास मे नहीं कहा था.. बल्कि फर्स्ट ईयर से लेकर फाइनल ईयर तक के हॉस्टलर्स से भी यही कहा था और उन्हें कॉलेज मे भी यही बात फैलाने का हुक्म दिया था. ताकि सब कंफ्यूज हो जाए की मैने उन्हें मारा भी है या नहीं....???

और ये अफवाह ऐसे फैली की खुद मै एकात बार कंफ्यूज हो जाता की.. मैने उन्हें मारा या ये सब सपना था...?
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MOS की चलती क्लास के बीच मे हमारे hod  सर क्लास मे घुसे और हड़क कर मुझे प्रिन्सिपल ऑफिस जाने के लिए कहा ,जहाँ प्रिन्सिपल सर और थ्री स्टार की खाकी वर्दी पहने हुए एक पुलिस  वाला मेरा इंतज़ार कर रहा था.....

"मे आइ कम इन सर..."मरी हुई आवाज़ मे मैने प्रिन्सिपल सर से अंदर आने की इजाज़त माँगी....

किसी को मुझपर शक़ ना हो इसलिए मैने आज ना तो सर मे तेल लगाया था और ना ही कंघी किया था. Infact कल दोपहर के बाद मैने खाना तक नहीं खाया था... जिससे मेरा चेहरा भी हल्का मुरझाया हुआ था. Maiने ऐसा इसलिए किया ताकि मेरे बिखरे हुए बाल और मुरझाया हुआ चेहरा मेरे बीमार होने की गवाही दे दे... ऊपर से ऑफिस आते वक़्त रास्ते मे मैने अपनी आँखों को उंगलियों से कोचक कर, एकदम अच्छी तरह से मला था. जिससे  जहा एक तरफ मेरी आँख अपने आप जलन के कारण बंद हो जाती,वही दूसरी तरफ जब खुलती भी तो प्रिंसिपल सर को मेरी लाल हुई आँखे, आंसुओ से भीगी हुई दिखती... जिससे मैं थ्री स्टार की वर्दी धारण किए पुलिस वाले को यकीन दिला सकू.... कि... मैं सचमुच मे बीमार हूँ और बड़ा कष्ट झेलकर कॉलेज आया हूँ. फिलहाल खुद के ग़लत होते हुए भी सही साबित करने की धुन मे मैने ब्रश तक नही किया था जिससे इस वक़्त मेरे मुँह से एक शानदार खुशबू भी निकल रही थी जिसका असर वहाँ पर बैठे प्रिन्सिपल सर और उस पुलिस  वाले पर हो रहा था....

मुझे सर्दी बिल्कुल भी नही थी लेकिन मैं वहाँ प्रिन्सिपल के ऑफीस मे खड़ा होकर अपनी नाक सुरकता और बीच-बीच मे खाँसता... ऐसी एक्टिंग  करते हुए एक समय जब मैने खांसने का झूठा अभिनय किया तो उस वक़्त मुझे सच मे जोरो की खाँसी आ गयी और मेरी आँख लाल हो गयी ,ये खाँसी इतनी जबर्जस्त थी कि मेरे आँखो से आँसू भी निकल आए और मुँह से लार भी टपक गया... मतलब एकदम कमाल कि एक्टिंग. जब मैने कहा था की मैं एकदम ऑस्कर विनिंग एक्टिंग करता हूँ तो मै सच कह रहा था... तुमने होनी तरह फेकू सोचा होगा..की बस ऐसे कहने के लिए कह दिया...?? श्री अरमान हूँ मै... खुद कि तुलना मेरे साथ करना मतलब... भक्त कि तुलना भगवान से करने के बराबर है....

"अरे भाई,पानी पिलाओ इसको..."थ्री स्टार की वर्दी पहने हुए उस शक्स ने कहा और मुझे अपने पास,बगल वाली चेयर मे बिठाया...

वैसे मुझे बीमार बनकर प्रिन्सिपल के ऑफीस मे आने की कोई ज़रूरत नही थी ,क्यूंकी हमारा हॉस्टल  वॉर्डन ऑलरेडी हमारे पक्ष मे गवाही देने के लिए तैयार था...जिसके बाद कोई कुछ  नही कर सकता था, लेकिन मैने सर मे तेल और बालो मे कंघी इसलिए नही किया...... क्यूंकी मैं आजमाना चाहता था कि यदि सिदार  का हाथ मेरे सर पर नही होता तो क्या मैं तब भी खुद को बचाने मे कामयाब होता,  ये मैं आज बचने के लिए नहीं बल्कि भविष्य के लिए कर रहा था. मैं ये एक्सपेरिमेंट करना चाहता था कि यदि सिदार  का पॉवर मेरे साथ नही होता तो क्या मैं तब भी मै बच पाता या नही.... माना की ये एक्सपेरिमेंट थोड़ा हटकर था पर ये एक्सपेरिमेंट  हमारे कॉलेज की लैब मे होने वाले बोरिंग एक्सपेरिमेंट से ज़्यादा इंट्रेस्टेड था, इसलिए मैने ये किया.... लेकिन मेरा ये एक्सपेरिमेंट तब फेल हो गया जब मेरे साइड वाली चेयर मे थ्री स्टार की वर्दी पहने हुए उस पुलिस वाले ने मेरी तरफ झुक कर कहा...

"मेरे कंधे पर थ्री स्टार यूँ ही नही लगी है मिसटर....मुझे हक़ीक़त की खाँसी और दिखावे मे फरक करना बहुत अच्छी तरह आता है,तूने क्या मुझे अपने कॉलेज का टीचर समझ रखा है जिसे तू जब चाहे तब बेवकूफ़ बना दे...हुहह्ह...."
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उस पुलिस  वाले के ऐसा कहते ही मेरी साँस मानो एक पल के लिए रुक गयी थी,मैं उसकी तरफ एकटक देखे जा रहा था...

"पसीना साफ कर लो..."उस थ्री स्टार वाले ने अब प्रिन्सिपल की तरफ देखते हुए कहा"इस पर उन दोनो लड़को के दोस्तो ने रिपोर्ट की है और रिपोर्ट के मुताबिक इसने फर्स्ट ईयर  के दोनो लड़को को हॉस्टल  के पास वाले ग्राउंड पर ले जाकर बुरी तरह से मारा,पीटा...जिसकी वजह ये हो सकती है कि उन्होने कुछ  दिनो पहले ही इसपर एफ.आइ.आर. किया था,जिसका बदला इसने उन्हे बुरी तरह से मारकर लिया...इसे हमारे साथ पुलिस  स्टेशन चलना होगा....तू तो गया बेटा लंबे से.. पिछली बार बच गया था, अबकी बार लम्बे से जाएगा "

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